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बुधवार, 10 अगस्त 2016

कलम, आज उनकी जय बोल - Kalam Aaj Unki Jay Bol

Hindi Creators

जला अस्थियां बारी-बारी

चिटकाई जिनमें चिंगारी,

जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर

लिए बिना गर्दन का मोल।

                                 कलम, आज उनकी जय बोल



जो अगणित लघु दीप हमारे,
तूफ़ानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन,
मांगा नहीं स्नेह मुँह खोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।

पीकर जिनकी लाल शिखाएं,
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी,
धरती रही अभी तक डोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।

अंधा चकाचौंध का मारा,
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के,
सूर्य, चन्द्र, भूगोल, खगोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।

-Ramdhari Singh 'Dinkar'

-रामधारी  सिंह 'दिनकर' 

बुधवार, 3 अगस्त 2016

सखि, वे मुझसे कहकर जाते - Sakhi, We Mujhse Kahkar Jaate

Hindi Creators

सखि, वे मुझसे कहकर जाते

कह, तो क्या मुझको वे अपनी पथ-बाधा ही पाते?

मुझको बहुत उन्होंने माना
फिर भी क्या पूरा पहचाना?
मैंने मुख्य उसी को जाना

जो वे मन में लाते।
सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

स्वयं सुसज्जित करके क्षण में,
प्रियतम को, प्राणों के पण में,
हमीं भेज देती हैं रण में -
क्षात्र-धर्म के नाते 
सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

हु‌आ न यह भी भाग्य अभागा

किसपर विफल गर्व अब जागा?
जिसने अपनाया था, त्यागा;
रहे स्मरण ही आते!
सखि, वे मुझसे कहकर जाते।
नयन उन्हें हैं निष्ठुर कहते
पर इनसे जो आँसू बहते,
सदय हृदय वे कैसे सहते ?
गये तरस ही खाते!
सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

जायें, सिद्धि पावें वे सुख से,

दुखी न हों इस जन के दुख से,

उपालम्भ दूँ मैं किस मुख से ?

आज अधिक वे भाते!
सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

गये, लौट भी वे आवेंगे,
कुछ अपूर्व-अनुपम लावेंगे,

रोते प्राण उन्हें पावेंगे,
पर क्या गाते-गाते ?
सखि, वे मुझसे कहकर जाते।

-Maithilisharan Gupt

-मैथिलिशरण गुप्त 

सोमवार, 1 अगस्त 2016

सब के कहने से इरादा नहीं बदला जाता - Sab Ke Kahne Se Irada Nahi Badla Jaata

Hindi Creators

                          सब के कहने से इरादा नहीं बदला जाता

                              हर सहेली से दुपट्टा नहीं बदला जाता

हम तो शायर हैं सियासत नहीं आती हमको
हम से मुंह देखकर लहजा नहीं बदला जाता
हम फकीरों को फकीरी का नशा रहता हैं
वरना क्या शहर में शजरा नहीं बदला जाता
ऐसा लगता हैं के वो भूल गया है हमको
अब कभी खिडकी का पर्दा नहीं बदला जाता
जब रुलाया हैं तो हसने पर ना मजबूर कर
रोज बीमार का नुस्खा नहीं बदला जाता
गम से फुर्सत ही कहाँ है के तुझे याद कर
इतनी लाशें हैं तो कान्धा नहीं बदला जाता
उम्र एक तल्ख़ हकीकत हैं दोस्तों फिर भी
जितने तुम बदले हो उतना नहीं बदला जाता
-मुन्नवर राणा