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शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

अब ना मिलेंगे

नज़रो को तेरे फिर कभी अब हम ना दिखेंगे
हर मोड़ पे मिलती थी नज़र, अब ना मिलेंगे

हम जा रहे हैं मुड़ के ज़रा देख लो हमे
ये आख़िरी दीदार है, कल फिर ना मिलेंगे

कही खो ना जाना वक़्त की इस भीड़ मे तुम भी
साथी बनाने को तो यहा कितने मिलेंगे

कल भी वो नज़र मेरा इंतेज़ार करेंगे
उन्हे क्या पता की फिर कभी अब हम ना मिलेंगे

इतनी भी रहनुमाई तो कर दे ज़रा हम पे
तस्सल्ली को पूछ ले, अब कहा मिलेंगे

ए खुदा, कभी मुफ्लिसो का दिल ना बनाना
दौलत से कभी इश्क़ के अरमां ना पलेंगे

जाते हुए कदमो की निशानी को चूम लूँ
जाने कहाँ, किस मोड़ पे अब फिर ये मिलेंगे

ए दिल मेरे अब सिख ले अंधेरे मे जीना
रौशन था जहाँ जिससे, वो अब ना मिलेंगे
                                               -
- अभिषेक सिंह

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